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कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है। ऐसा विभत्स मंजर शायद ही किसी ने अपनी याददास्त में देखा हो। बाढ़, भूकम्प, सुनामी, आंधी, तूफान, आगजनी से हम सबका कभी ना कभी पाला पड़ा है। ये मंजर भी खतरनाक होते हैं, लेकिन एक ही बार में जो होना होता है, वो हो जाता है। कोरोना ने ऐसा भयावह वातावरण निर्मित कर रखा है कि दवाई, इंजेक्शन, आक्सीजन, अस्पताल आदि की कमीं से आदमी मरा जा रहा है। कुछ समय के लिए लगता था अगर कोई परिजन या मित्र आई सी यू में है तो सुरक्षित है लेकिन वहां भी आक्सीजन कब खत्म हो जाये इसका भी कोई भरोसा नहीं है।

गंगा, संनातन काल से मुक्ति वाहिनी नदी है लेकिन सैंकड़ों कोरोना पीड़ित तैरते शव गंगा को कैसे दूषित करेंगे ये बताना एकदम कठिन है।

भारतवर्ष टीवी9 के एंकर निशांत चतुर्वेदी ने पिछले वर्ष फरवरी-मार्च से बहुत सारे इंटरव्यू कोरोना पर किये थे और उसमें देश के तमाम ज्योतिषियों ने अपनी-अपनी राय दी थी। उन इंटरव्यूओं के दौरान मैंने निशांत चतुर्वेदी से कहा था जो रिकार्ड में भी है कि कोरोना भारतवर्ष में अगले दो वर्ष तक रहने वाला है और अब हम दूसरे वर्ष में कोरोना का कहर झेल रहे हैं।

कोविड़-19 का जन्म चीन में हुआ, ये तो तय है। कुछ लोगों का मानना है कि ये वायरस चीन की लेबोरेट्री से आया और दूसरा मत यह है कि चमगादड़, गिद्ध, जानवरों आदि के मुटेशन से इसका जन्म हुआ। इस वायरस के जन्म का कारण कुछ भी हो लेकिन यह तय है कि यह वायरस दुनिया के तमाम वैज्ञानिकों, डाक्टरों और विद्वानों आदि से ज्यादा इंटेलीजेंट है। कोरोना वायरस को मारने या कंट्रोल करने की जितनी भी दवाईयां बनी है उन सबमें कहीं ना कहीं कमीं है और कोई भी वैक्सीन पूरी तरह कोरोना को कंट्रोल करने में सफल नहीं है।

वैदिक सोच या आस्था इस मसले पर एकदम स्पष्ट है कि जो भी जीव, चाहे वो वायरस ही क्यों न हो अगर पैदा हुआ है तो फिर उसका मरना तब तक असंभव है जब तक वो इस जन्म-मरण के झंझट से मुक्त न हो जाये।

कोरोना वायरस से पहले भी बहुत सारे वायरस आये। अभी तक कोई भी मरा नहीं है जैसे – मलेरिया, कोलेरा, डेंगू, स्वाईन फ्लू, एड्स आदि। इनमें से किसी भी वायरस का अंत नहीं हुआ है और ये सारे वायरस भेष बदलकर मुटिड हो जाते हैं। इसका आशय ये हुआ कि कोरोना भी कहीं जाने वाला नहीं है और इसके जीवन का आधार मनुष्य का शरीर है। इसलिए ये जायेगा तो कहीं नहीं, लेकिन जैसे और वायरस, बैक्टीरिया मनुष्य का शरीर झेल रहा है उसी तरह से इसको भी झेलना सीखना पड़ेगा।

कोविड-19 का उदय 2019 में हुआ। उस समय आकाश में ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार थी। 2019 के अंत में 6 ग्रह एक राशि में थे और पूर्ण सूर्य ग्रहण हुआ था। जब भी 5-6 ग्रह एक राशि में होते हैं और ऊपर से ग्रहण पड़ जाये तो आग में घी डालने जैसा हो जाता है। लगभग पिछले चार सालों से बृहस्पति आकाश में अतिचारी चल रहा है अर्थात बृहस्पति एक राशि में भाग रहा है बजाय चलने के। जब भी आकाश में वृहत ग्रह – शनि या बृहस्पति की स्थिति अस्त-व्यस्त होती है तो वो समय दुनिया के लिए बड़ा पीड़ादायक और बदलाव लाने वाला होता है।

बृहस्पति 2020 के आरम्भ से अतिचारी के अलावा अपनी नीच राशि मकर को भी आतंकित किये हुए है। शनि भी मकर राशि में ही है। जब भी आकाश में बृहस्पति लगातार अतिचारी हो जाता है तो फिर वह अपनी सौम्यता छोड़ देता है यानि क्रूर हो जाता है। बृहस्पति का संबंध – स्वास्थ्य, धन, सुख-शान्ति, उचित व्यवहार, निष्ठा और प्रोपर केयर, जितने भी क्षेत्र बृहस्पति से जुड़े हैं वे सब बुरी तरह आहत हैं।

बृहस्पति बदलाव का द्योतक भी है और मूलतः शुभ ग्रह है, इसलिए इसकी शुभता भी दिखनी चाहिए। अतिचारी बृहस्पति का लाभ यह हुआ कि साल भर में कई देशों ने इसकी वैक्सीन बना ली जो काफी कारगर भी है। पहले हम बड़े व्यक्तिगत हो गये थे और अपने पड़ोसी की चिन्ता भी नही ंकरते थे। अब हमें ना केवल अपने देश के लोगों की बल्कि अन्य देश के लोगों की भी चिन्ता करनी चाहिए। सदियो ंपुराना जो हमारा ‘वासुदेव कुटुम्बकम्’ का ना केवल विचार बल्कि व्यवस्था है उसके बारे में इस विश्व को पुनः सोचना पड़ेगा। व्यक्तिगत या देशगत चिंता छोड़कर पूरे मानव समाज के बारे में विचार करना होगा वरना ये जो अवसर हमें मिला है इसे हम खो भी सकते हैं।

नवम्बर 2020 से लेकर अप्रैल 2021 तक बृहस्पति पुनः अपनी नीच राशि मकर में आया था और वहां इसकी क्रूर ग्रह शनि के साथ युति भी बनी थी। भारत में उन्हीं दिनों में हमने पूर्ण लापरवाही बरती और परिणाम देश का हर घर भुगत रहा है।

15 जून 2021 के बाद वर्तमान प्रकोप में काफी कमीं आयेगी। हालांकि कुछ इंप्रूवमेंट 15 मई से भी हुआ है लेकिन यह काफी नहीं है। अगले तीन महीने में वर्तमान आतंकित वातावरण से काफी राहत प्राप्त होगी।

14 सितम्बर 2021 को बृहस्पति पुनः नीचस्थ होगा और शनि के साथ युति बनायेगा जो नवम्बर 2021 तक चलेगी। यह वह समय होगा जब कोविड-19 की तीसरी लहर बड़े जोर-शोर से आ सकती है। आप और हम सुन भी रहे हैं। दुनिया के वैज्ञानिक बोल रहे हैं कि कोविड़-19 की तीसरी लहर अवश्य आयेगी। अगर इस लहर को आना है तो आकाश में ग्रहों का वातावरण दूषित होगा जिससे पृथ्वी पर जन मानस पुनः आतंकित हो सकता है।

कोरोना का प्रकोप या लहर मार्च 2022 के बाद शांत होगी। संभवतः या तो पूरी दुनिया वैक्सीनेटिड़ हो जायेगी या फिर कोरोना वायरस अपना रूप परिवर्तित कर शांत प्रायः हो जायेगा।

 

—- डॉ. अजय भाम्बी

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