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ज्योतिष में बहुत सी विद्या प्रचलित हैं मगर सबसे ज्यादा जो विद्या प्रचलित हुई है वह है लाल किताब | लाल किताब ने ज्योतिष जगत को एक ऐसी साइंस दी है जिसका कोई मुकाबला नहीं है और वह साइंस है एस्ट्रो वास्तु, जिसको हम मकान कुंडली भी कहते हैं यह विद्या अगर कोई आदमी अच्छी तरह से समझ ले तो सामने वाला इतना हैरान हो जाता है कि यह कहां से फलादेश कर रहा है| आप कई हजार किलोमीटर दूर बैठे उस आदमी को यह बता सकते हो कि तेरे घर में कहां-कहां क्या-क्या पड़ा है और तेरे घर के आस-पास क्या है, तेरे घर के दाएं या बाएं , कौन रहता है तेरे घर से मंदिर कितना दूर है, स्कूल कितना दूर है,एक  एक चीज बताई जा सकते हैं|

 इस लेख में हम मकान कुंडली की बात करेंगे| देखिए सबसे पहले जरूरी है कि हमें पता होनी चाहिए कि हमारी जो कुंडली है उसका हर एक घर कौन सी दिशा को दर्शाता है जैसे हमारी कुंडली होती है, ऐसे ही मकान की भी एक कुंडली बनती है ,ऐसे ही मकान के 12 खाने विभाजित किए जाते हैं और आपको जानकर बहुत हैरानी होगी कि हमारी कुंडली का एक-एक खाना हर  दिशा को रिजल्ट करता है जैसे खाना  नंबर जो एक है ,वह हमारी पूरब दिशा को दर्शाता है खाना नंबर दो हमारी नॉर्थ वेस्ट दिशा को दर्शाता है, खाना नंबर 3 हमारी साउथ दिशा को दर्शाता है, खाना नंबर 4 हमारी नॉर्थ ईस्ट दिशा को दर्शाता है,खाना  नंबर 5 हमारा जो पूरब का बाहर वाला हिस्सा है उसको दर्शाता है, खाना नंबर 6 हमारी नॉर्थ दिशा को दर्शाता है, खाना  नंबर 7 हमारी साउथ वेस्ट दिशा को दर्शाता है खाना नंबर 8 हमारी  साउथ की जो बाहर वाली साइड है उस को दर्शाता है, खाना नंबर 9 हमारा ब्रह्मस्थान है, खाना नंबर 10 हमारी पश्चिम दिशा है, खाना नंबर 11 यह हमारी पश्चिम की बाहर की साइड  को दर्शाता है और खाना नंबर 12 यह हमारी साउथ ईस्ट दिशा को दर्शाता है|

 देखिए अगर आप अपने मकान में या अपने फ्लैट में कंपास लगा कर देखें तो आप पाएंगे कि उसकी भी अलग-अलग दिशाएं हैं| इसी तरह हमारी जो जन्म कुंडली के खाने हैं वह भी किसी ना किसी दिशा को दर्शाते हैं| अगर आप इस विद्या को अच्छी तरह अपना लें तो यकीन मानिए कि आप जैसा फलादेश करने वाला कोई नहीं हो सकता| जो मकान कुंडली है इसका सबसे पहला नियम यही है, के आपके मकान की जो भी दिशा है, आपने उस दिशा के हिसाब से ही ग्रहों की चीजें रखने हैं और आपको सबसे पहले यह बताना चाहिए कि किस ग्रह की कौन सी चीजें हैं जैसे आपके मकान में जो ईस्ट का हिस्सा है वह सूर्या के अधीन आता है क्योंकि सूर्य पूरब दिशा से चढ़ता है तो आपने वहां पर सूर्य से संबंधित चीजें ही रखनी हैं ,यही आप को अच्छा फल देंगी। इसी तरह आप का जो पश्चिम का हिस्सा है ,वहां आप शनि से सम्बंधित चीजें ही रखेंगे क्योंकि पश्चिम दिशा शनि से सम्बंध रखती है तो मकान में आप कोई भी समान रख रहे हो उस को रखते हुए बहुत सावधानी रखनी है आप ने उस दिशा से मेल खाती चीजें ही रखनी है।

आप को इस तरह से समझाता हूँ , जैसे अगर आपने अपनी ईस्ट भाव पूरब की दिशा में अगर लोहे का सामान रख दिया तो आपने अपने ईस्ट में शनि को स्थापित कर लिया, क्योंकि लोहा शनि है, यहां तक तो बिल्कुल क्लियर है|

अब आगे महत्वपूर्ण बात, जो भी चीज आपके मकान में जहां पड़ी होती है, वो आपकी जन्म कुंडली मे उसी खाने में प्रभाव देने लगती है। जैसे हमने ईस्ट में लोहे का सामान रखा, तो लोहा शनि है, अब शनि  आपकी कुंडली के खाना 1 में आ गया, भाव वो वहां का फल देगा। क्योंकि खाना 1 आपकी ईस्ट दिशा है, तो अब आप समझ गए होंगे के घर की जिस दिशा में आपने कोई चीज रख दी, वो आपकी कुंडली के उस दिशा वाले खाने में चली गई।

अब खाना 7 आप की जन्म कुंडली मे साउथ वेस्ट दिशा को दर्शाता है, खाना 7 में शुक्र की सब से अच्छी स्थिति है| अगर किसी ने अपने साउथ वेस्ट दिशा में मंदिर बना लिया या मूर्तियां रख दी तो अब मंदिर भाव बृहस्पति खाना 7 में प्रभाव देगा। खाना 7 में बृहस्पति के बहुत खराब फल हैं। अगर यहां बृहस्पति हो तो औलाद पर बुरा असर पड़ता है। तो आपने वो चीजें कभी नही रखनी जो आप की दिशा  के विपरीत हों।

खाना 4 चंद्र की सब से अच्छी अवस्था है, और यह नार्थ ईस्ट दिशा को दर्शाता है, अगर आपने यहाँ नार्थ ईस्ट में टॉयलेट बना ली, अब टॉयलेट क्या है, टॉयलेट राहु है तो आपने अपनी जन्म कुंडली मे राहु को  खाना नम्बर 4 में जगह दे दी। राहु आपकी कुंडली मे कहीं भी हो वो खाना 4 का प्रभाव ही देगा, इसी तरह सब ग्रह हैं।

यहाँ मैं अस्थायी चीजें की बात नही कर रहा |मैं उन चीजों की बात  कर रहा हूँ जो आप के घर में स्थायी है जैसे स्टोर, मंदिर, बेड रूम, किचन, टॉयलेट आदि

अब अगर मेरे पास कोई आदमी आया और उसने बताया के उसने अपने घर मे पानी का स्रोत साउथ ईस्ट दिशा में रखा है तो मैं यह मान कर चलूंगा के उसने अपने पूरे परिवार के लिए ,चंद्र खाना नंबर 12 में स्थापित कर लिया है, क्योंकि खाना 12 ,साउथ ईस्ट की दिशा है, और अब चंद्र परिवार की जन्म कुंडली मे कहीं भी हो अब चंद्र खाना 12 का प्रभाव देगा, मुझे वही प्रभाव मिलेंगे जो चंद्र खाना नम्बर 12 के मिलते हैं।

चंद्र खाना 12 में हो तो फालतू खर्च और पैसे की कमी रहती है, रोज़ की आमदनी पर असर रहता है, मां और दिल को परेशानी होती है। 

यहाँ एक और बात बहुत महत्वूवर्ण है के आप अपने मकान में चीजें उसी हिसाब से रखो जो अच्छे ग्रहों का फल दे, जैसे अगर आप मंदिर ईशान दिशा भाव नार्थ ईस्ट में बनाते हैं तो यह खाना 4 में जा कर प्रभाव देगा, मंदिर बृहस्पति है तो आपकी कुंडली मे बृहस्पति खाना 4 का प्रभाव दे रहा है। और यह बृहस्पति की सब से अच्छी स्थिति है, बृहस्पति खाना 4 में ऊंच होता है। अगर आप अपनी किचन साउथ ईस्ट दिशा में बनाते है तो मंगल आपकी कुंडली मे खाना 12 का प्रभाव देगा। यहाँ मंगल बहुत अच्छा माना गया है, अगर राहु कहीं भी हो और मंगल खाना 12 में हो तो राहु कभी भी बुरा प्रभाव नही दे सकता। इसी तरह आप सब चीजों को रखने से उनका प्रभाव देख सकते हो

एक है साधारण वास्तु, जो हर एक के लिए एक जैसा होता है एक है आपके ग्रहों के अनुरूप वास्तु , हम इसी मकान वास्तु की बात कर रहें हैं।

आप ने देखा होगा के एक बिल्डर , एक बिल्डिंग में 100 फ्लैट बना देता है, और सभी का वास्तु भी एक जैसा होता है। मगर सब की किस्मत अलग अलग होती है। एक आदमी उसी फ्लैट में आ कर एक फैक्ट्री से 4 और  फैक्टरी बना लेता है, दूसरा आदमी उसी फ्लैट में आ कर बर्बाद हो जाता है। एक आदमी आता है उसके उस फ्लैट में 3 बच्चे हो जाते है, दूसरा आता है, उसके एक भी बच्चा नही है, तो मेरे समझाने का मतलब है के हर एक का वास्तु अलग है ,जो वास्तु आप के लिए एक फ्लैट या घर मे अच्छा है हो सकता है ,वो किसी और के लिए बुरा हो।

बस यहीं से मकान वास्तु या मकान कुंडली का रोल शुरू होता है।

 

धन्यवाद

 

 

शनि संजीव शर्मा

लाल किताब टीचर

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